वास्तु शास्त्र में सीढ़ियाँ का स्थान और दिशा घर की ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करता है। सही दिशा में और उचित तरीके से सीढ़ियाँ बनवाना घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जबकि गलत दिशा और गलत निर्माण से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सीढ़ियाँ घर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि ये ऊंचाई की ओर ले जाती हैं और घर में आने-जाने के मार्ग को सुनिश्चित करती हैं।
सीढ़ियों का स्थान:
सीढ़ियाँ के निर्माण में दिशाओं का ध्यान रखना:
सीढ़ियों की संख्या:
सीढ़ियों का आकार और चौड़ाई:
सीढ़ियों के नीचे खाली स्थान:
सीढ़ियों का रंग:
सीढ़ियों पर रौशनी:
सीढ़ियों पर जल और अन्य तत्व:
सीढ़ियाँ पूजा कक्ष के पास नहीं होनी चाहिए: पूजा कक्ष के पास सीढ़ियाँ का निर्माण वास्तु के अनुसार गलत होता है क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।
सीढ़ियाँ मुख्य द्वार से सीधे नहीं जुड़नी चाहिए: सीढ़ियाँ को मुख्य द्वार से सीधे जोड़ने से बचना चाहिए क्योंकि यह वास्तु दोष का कारण बन सकता है। सीढ़ियाँ को मुख्य द्वार से घुमाकर रखना अच्छा माना जाता है।
सीढ़ियों को शयनकक्ष के पास न रखें: सीढ़ियाँ को शयनकक्ष के पास या बैठक के पास रखना भी वास्तु के अनुसार गलत माना जाता है। यह घर में अशांति और तनाव पैदा कर सकता है।
सीढ़ियाँ घर की ऊर्जा और वास्तु के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं। यदि सीढ़ियाँ सही दिशा और आकार में बनाई जाएं तो वे घर में समृद्धि और सुख-शांति ला सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियाँ को हमेशा विषम संख्या में बनवाना चाहिए, और उत्तर या पूर्व दिशा में उनका निर्माण सबसे शुभ होता है। यदि इन नियमों का पालन किया जाए, तो सीढ़ियाँ सकारात्मक ऊर्जा का वाहक बन सकती हैं और घर को समृद्धि की ओर ले जा सकती हैं।