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वास्तु शास्त्र में सीढ़ियाँ (Staircase)

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियाँ का स्थान और दिशा घर की ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करता है। सही दिशा में और उचित तरीके से सीढ़ियाँ बनवाना घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जबकि गलत दिशा और गलत निर्माण से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सीढ़ियाँ घर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि ये ऊंचाई की ओर ले जाती हैं और घर में आने-जाने के मार्ग को सुनिश्चित करती हैं।

सीढ़ियों के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा और स्थान

  1. सीढ़ियों का स्थान:

    • उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण):
      सीढ़ियाँ इन दिशाओं में बनवाना शुभ माना जाता है। उत्तर दिशा और पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ये दिशा जीवन में तरक्की और सफलता के लिए अनुकूल मानी जाती हैं।
    • दक्षिण और पश्चिम दिशा:
      सीढ़ियाँ इन दिशाओं में बनवाने से बचना चाहिए। ये दिशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और घर के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
  2. सीढ़ियाँ के निर्माण में दिशाओं का ध्यान रखना:

    • सीढ़ियाँ हमेशा घड़ी की दिशा में चढ़ती हुई होनी चाहिए, यानी दाएं से बाएं
    • सीढ़ियाँ दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर चढ़ती हुई होनी चाहिए
    • सीढ़ियाँ को हमेशा सीधी या 90 डिग्री के कोण पर बनवाना चाहिए, और घुमावदार (spiral staircase) सीढ़ियाँ वास्तु के अनुसार सही नहीं मानी जातीं।

सीढ़ियों का आकार और संख्या

  1. सीढ़ियों की संख्या:

    • सीढ़ियों की संख्या का विशेष महत्व है। सीढ़ियाँ हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए, जैसे 1, 3, 5, 7, 9 आदि।
    • विषम संख्या में सीढ़ियाँ रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
    • समान संख्या में सीढ़ियाँ रखने से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जो घर में तनाव और अशांति ला सकता है।
  2. सीढ़ियों का आकार और चौड़ाई:

    • सीढ़ियाँ समय के साथ आरामदायक और व्यवस्थित होनी चाहिए। बहुत बड़ी या तंग सीढ़ियाँ घर में असुविधा और सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं होतीं।
    • सीढ़ियाँ का चौड़ा आकार होना चाहिए ताकि आने-जाने में कोई रुकावट न हो और यह स्थान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को आकर्षित न करे।

सीढ़ियों के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र के अन्य टिप्स

  1. सीढ़ियों के नीचे खाली स्थान:

    • सीढ़ियों के नीचे खाली जगह का उपयोग अच्छे उद्देश्यों के लिए करें। इस स्थान का उपयोग रैक, गोडाउन, या किसी प्रकार का संग्रहण करने के लिए किया जा सकता है।
    • अंधेरे या अव्यवस्थित स्थान से बचें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन सकता है।
  2. सीढ़ियों का रंग:

    • सीढ़ियों का रंग हल्का और ताजगी देने वाला होना चाहिए, जैसे क्रीम, पीच, हवा का रंग, मिट्टी का रंग। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।
    • अंधेरे और गहरे रंगों जैसे काले, भूरे आदि से बचें क्योंकि ये नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  3. सीढ़ियों पर रौशनी:

    • सीढ़ियों को अच्छी तरह से रोशन रखना चाहिए। प्राकृतिक रौशनी का आना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर ये संभव नहीं है, तो पीला प्रकाश या सॉफ़्ट लाइट का उपयोग करें।
    • अंधेरे सीढ़ियों से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है और दुर्घटनाएँ भी हो सकती हैं।
  4. सीढ़ियों पर जल और अन्य तत्व:

    • पानी का तत्व और जलाशय सीढ़ियों के पास न रखें। पानी से जुड़ी चीजें जैसे मछली का टैंक या झरने आदि सीढ़ियों के पास नहीं होने चाहिए।
    • सीढ़ियाँ पर वायु और आग के तत्वों का संतुलन बनाए रखना चाहिए।

सीढ़ियाँ से जुड़ी वास्तु की कुछ महत्वपूर्ण गलतियाँ:

  1. सीढ़ियाँ पूजा कक्ष के पास नहीं होनी चाहिए: पूजा कक्ष के पास सीढ़ियाँ का निर्माण वास्तु के अनुसार गलत होता है क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।

  2. सीढ़ियाँ मुख्य द्वार से सीधे नहीं जुड़नी चाहिए: सीढ़ियाँ को मुख्य द्वार से सीधे जोड़ने से बचना चाहिए क्योंकि यह वास्तु दोष का कारण बन सकता है। सीढ़ियाँ को मुख्य द्वार से घुमाकर रखना अच्छा माना जाता है।

  3. सीढ़ियों को शयनकक्ष के पास न रखें: सीढ़ियाँ को शयनकक्ष के पास या बैठक के पास रखना भी वास्तु के अनुसार गलत माना जाता है। यह घर में अशांति और तनाव पैदा कर सकता है।

निष्कर्ष:

सीढ़ियाँ घर की ऊर्जा और वास्तु के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं। यदि सीढ़ियाँ सही दिशा और आकार में बनाई जाएं तो वे घर में समृद्धि और सुख-शांति ला सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियाँ को हमेशा विषम संख्या में बनवाना चाहिए, और उत्तर या पूर्व दिशा में उनका निर्माण सबसे शुभ होता है। यदि इन नियमों का पालन किया जाए, तो सीढ़ियाँ सकारात्मक ऊर्जा का वाहक बन सकती हैं और घर को समृद्धि की ओर ले जा सकती हैं।

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