वास्तु शास्त्र में बाथरूम का महत्व:
बाथरूम का सही स्थान और दिशा वास्तु शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अगर बाथरूम वास्तु के अनुसार सही स्थान पर बनाया जाता है, तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद करता है।
बाथरूम के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा और स्थान
सर्वश्रेष्ठ दिशा:
उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण):
बाथरूम के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे आदर्श मानी जाती है। इस दिशा में बाथरूम रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिशा बाथरूम के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है, क्योंकि यह वायु तत्व से संबंधित है और बाथरूम के पानी के तत्व के साथ सामंजस्य बैठाती है।दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नि कोण):
बाथरूम का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में भी किया जा सकता है, लेकिन इसे मुख्य बाथरूम के रूप में नहीं रखा जाना चाहिए। इस दिशा को आग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है और बाथरूम में पानी के तत्व से संघर्ष हो सकता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बाथरूम का स्थान:
- बाथरूम को हमेशा घर के कोने में या छोटे हिस्से में बनवाना चाहिए, ताकि यह घर के बाकी हिस्सों में नकारात्मक प्रभाव न डाले। इसे घर के मध्य क्षेत्र में नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे घर की ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है।
बाथरूम और शयनकक्ष के बीच दीवार:
- बाथरूम और शयनकक्ष के बीच दीवार नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह दोनों स्थानों की ऊर्जा को मिश्रित कर सकती है। इसके कारण मानसिक अशांति और असमंजस उत्पन्न हो सकता है।
बाथरूम और पूजा घर:
- पूजा घर और बाथरूम को एक ही दीवार पर न बनवाएं, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण कर सकता है। पूजा घर को हमेशा साफ और शुद्ध रखना चाहिए, जबकि बाथरूम गंदगी और नकारात्मकता से जुड़ा हुआ होता है।
वॉश बेसिन और शावर का स्थान:
- वॉश बेसिन और शावर को बाथरूम में पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जल तत्व के साथ सामंजस्य रहता है।
- बाथरूम में शॉवर और वॉश बेसिन को एक साथ न रखें। यह वास्तु के अनुसार सही नहीं है, क्योंकि इससे जल के तत्व का संतुलन बिगड़ सकता है।
बाथरूम में उचित सजावट और अन्य तत्व
साफ-सफाई और वेंटिलेशन:
- बाथरूम में हमेशा स्वच्छता बनाए रखें। गंदगी और नमी को बाथरूम में न जमा होने दें। नमी से बैक्टीरिया और बैक्टीरिया से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।
- बाथरूम में हवादार व्यवस्था होनी चाहिए। खिड़कियाँ और एग्जॉस्ट फैन लगाने से अच्छी हवा और प्राकृतिक रोशनी का प्रवाह होता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने में मदद करता है।
बाथरूम का दरवाजा:
- बाथरूम का दरवाजा लकड़ी से बना होना चाहिए। धातु के दरवाजे नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं, जिससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- बाथरूम के दरवाजे को हमेशा बंद रखें ताकि नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश न कर सके।
आईना (मिरर):
- बाथरूम में मिरर का स्थान भी महत्वपूर्ण होता है। मिरर को बाथरूम के सामने नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति की ऊर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
- मिरर को बाथरूम की पूर्वी या उत्तरी दीवार पर लगाना आदर्श होता है।
प्लांट्स (पौधे):
- बाथरूम में पौधों का होना अच्छा होता है, लेकिन कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस या ऐगवेरा से बचें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
- बाथरूम में हरे पौधे जैसे तुलसी, एलोवेरा, या लघु पौधे रखना शुभ माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
रंग:
- बाथरूम के रंग हल्के और सॉफ्ट रंगों जैसे सफेद, हल्का नीला, पेस्टल शेड्स, और पौधों के रंग रखने चाहिए। ये रंग शांति और ताजगी का प्रतीक होते हैं और जल तत्व के साथ सामंजस्य बैठाते हैं।
बाथरूम में न करें ये गलतियां
बाथरूम का पानी का रिसाव:
- बाथरूम में पानी का रिसाव या लीक होना वास्तु के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। इसका नकारात्मक प्रभाव घर के माहौल और ऊर्जा पर पड़ता है।
बाथरूम का स्थान गलती से मुख्य द्वार के पास:
- बाथरूम का निर्माण मुख्य दरवाजे के पास न करें। बाथरूम का स्थान हमेशा घर के अंदर या कोने में होना चाहिए।
नमक का प्रयोग:
- बाथरूम में नमक का प्रयोग करने से बचें क्योंकि इसे जल से प्रतिकूल माना जाता है, जो ऊर्जा के संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष:
वास्तु शास्त्र में बाथरूम का सही दिशा और स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। उत्तर-पश्चिम दिशा को बाथरूम के लिए आदर्श माना जाता है, जबकि दक्षिण-पूर्व दिशा से बचना चाहिए। बाथरूम में सफाई, उचित वेंटिलेशन, सही रंग और पौधों का चयन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह घर के लिए शुभ रहता है।